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Showing posts from September, 2019

पॉलिथीन प्रदूषण

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प्रदूषण पॉलिथीन आज मानव जीवन के दैनिक क्रियाकलाप में पॉलिथीन ने एक अलग ही स्थान बना ली है। पॉलिथीन के बिना कोई भी कार्य पूर्ण नहीं हो रहा है। जहां देखो वहां ही पॉलिथीन ही पॉलिथीन और उसे से बने हुए चीजें दिखाई पढ़ पढ़ रही हैं। पॉलिथीन एक तरफ मानव जीवन के लिए तो खतरा है ही परंतु यह हमारे पर्यावरण के लिए भी घातक है। पॉलिथीन में चाय       पॉलिथीन का कचरा हमारे भूमि को ना केवल बंजर बना रहा है, बल्कि समुंद्र में भी पॉलिथीन कचरा से कई जीवो के लिए खतरा उत्पन्न हो चुका है। कई समुद्री जीव तो पॉलिथीन और प्लास्टिक से विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके हैं और कुछ विलुप्त हो चुके हैं। चाहे वह हिमालय का माउंट एवरेस्ट हो या कोई अन्य पर्यटक स्थल या समुद्री तट हो, सभी जगह जिधर देखो उधर ही प्लास्टिक और पॉलिथीन ही नजर आते हैं। सरकार समय-समय पर पॉलीथिन पर रोक लगाती है और इसे बैन करने की कोशिश करती है, परंतु जनता में सर्व सुलभ होने के कारण पॉलिथीन पुनः उपयोग में आ जाती है। सरकार को कड़े फैसले लेकर पॉलिथीन और प्लास्टिक पर अच्छी तरह रोक लगाने का प्रयास करना चाहिए। जिससे प्लास्टिक औ...

Hindi dewas : hindi divas vishesh हिंदी दिवस विशेषः संघ की राजभाषा नीति

संघ की राजभाषा नीति सारांश भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिंदी होगी और उसकी लिपि देवनागरी होगी। सरकारी कामकाज में प्रयोग के लिए भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप में प्रयोग किया जाएगा। यह 0 123456789 है। राजभाषा अधिनियम संशोधित किया गया है जिसकी जानकारी सभी को है और समय-समय पर दी जाती है। राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 33 के अनुसार केंद्र सरकार के कार्यालयों में निम्नलिखित सभी दस्तावेज द्विभाषी रूप में अर्थात हिंदी और अंग्रेजी में दोनों भाषाओं में जारी किए जाएंगे। सामान्य आदेश, संकल्प, नियम, अधिसूचना, प्रशासनिक एवं अन्य प्रतिवेदन प्रेस विज्ञप्ति, करार, सूचनाएं, निविदा प्रपत्र एवं सूचना संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखे जाने वाले कागजात।   सामान्य आदेश की परिभाषाएं  स्थाई किस्म के सभी आदेश निर्णय, अनुदेश परिपत्र आदि जो विभागीय प्रयोग के लिए हैं तथा ऐसे सभी आदेश अनुदेश पत्र ज्ञापन सूचनाएं परिपत्र जो सरकारी कर्मचारियों के संबंध में या उनके लिए हैं राजभाषा अधिनियम की धारा 3(3) के अधीन सामान्य आदेश कहलाते हैं।  राज्य भाषा क्षेत्र केंद्र ...

Munsi Premchand, मुंशी प्रेमचंद : मेरे प्रिय लेखक

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मुंशी प्रेमचंद: मेरे प्रिय लेखक किसी भाषा के उन्नयन में उस भाषा के लेखकों का हाथ होता है। हिंदी भाषा के विकास में तुलसीदास,भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद जैसे धन्य लेखकों का योगदान रहा है। हिंदी को लोकप्रिय कथा साहित्य से समृद्ध करने वाले गिने-चुने लेखकों में मुंशी प्रेमचंद का नाम लिया जाता है। प्रेमचंद ने भारतीय समाज को अंधविश्वासी और रूढ़िवादी परंपराओं से लड़ने के लिए ना केवल प्रेरित किया, अपितु उसे एक दिशा भी दिया। अपने उपन्यासों, कथाओं तथा साहित्य द्वारा मानवीय करुणा, मानवीय गरिमा, मानवीय स्वतंत्रता आदि मान्यताओं एवं दृष्टिकोण की नई व्याख्या की। प्रेमचंद की कहानियों से हमें संवेदना के धरातल पर अपने देश और समाज को समझने में पूरी पूरी मदद मिलती है। मुंशी प्रेमचंद  प्रेमचंद का जन्म  31 जुलाई 1880 को वाराणसी के निकट लमही नामक ग्राम में हुआ था। प्रेमचंद के बचपन का नाम धनपत राय था। इनके पिता श्री अजायब राय तथा माता आनंदी देवी थी। इनके पिताजी एक सरकारी डाकखाने में क्लर्क थे। प्रेमचंद की आयु जब 7 वर्ष की थी, तभी उनकी माता का देहांत हो गया। 15 वर्ष की आयु तक इनके ...

Sawach Bharat abhiyan/ स्वच्छ भारत अभियान: कैसे अपने शहर को साफ रखें।

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स्वच्छ भारत अभियान कैसे अपने शहर को साफ रखें। शहर, अपने सपनों का शहर, लोग हजारों सपने लेकर गांव से पलायन करके शहर आते हैं। अपने सपनों की हकीकत में बदलने लेकिन यहां आने पर लोग क्या देखते हैं कि जिस चकाचौंध को देखकर लोग शहर की तरफ आए थे, तो वहां तो केवल गंदगी, झुग्गी-झोपड़ी, स्लम, फुटपाथ आदि खुले स्थानों में सोने वाले लोग, चारों तरफ गंदगी, कूड़ा-कचरा का अंबार, ट्रैफिक जाम, धुआ, गाड़ियों का एवं वाहनों का शोर, ध्वनि प्रदूषण, काम के लिए भागते लोग, अस्पताल में मरीजों का भीड़, दुकानों में भीड़, रोड पर घूमते आवारा पशु, पानी की समस्या, बिजली की समस्या, खुले मैनहोल एवं गटर के सड़क पर बहते पानी, सड़कों पर कूड़े का अंबार, कल कारखानों द्वारा प्रदूषण आदि समस्याओं से आज भारत का हर एक शहर जूझ रहा है।  नहीं है कि हम अपने श ऐसा   हर को सपनों का शहर नहीं बना सकते, बस सभी नगर वासियों को एक सच्चा प्रण लेना होगा कि यह समस्या हमारी अपनी है, इसे कोई ठीक नहीं कर सकता है । सभी नगरवासी मिलकर नगर की समस्या को हल कर सकते हैं, तभी हम अपने शहर को स्वच्छ रख सकते हैं और स्वच्छ भाच्छ रत अभियान को सफल...

Hindi letter/पत्र लेखन /अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में प्रधानाचार्य महोदय केंद्रीय विद्यालय-1 कानपुर विषय:- अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र श्रीमान जी              सविनय निवेदन है कि कल रात से मुझे बुखार आ रहा। है।रात में ही मुझे बहुत तेज बुखार हो गया था।अब मुझे काफी कमजोरी महसूस हो रही है। मैं विद्यालय आने मे असमर्थ हूँ। डॉक्टर ने मुझे आराम करने की सलाह दी है।               अतः आप से विनम्र निवेदन है कि मुझे एक दिन का अवकाश देने की कृपा करें। जिसके लिए मैं सदा आप का आभारी रहूँगा। आप का आज्ञाकारी शिष्य। आर्यन कक्षा दस 'ब' अनुक्रमांक-5 दिनांक: 6 सितंबर 19

स्वच्छ भारत अभियान

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                        स्वच्छ भारत अभियान स्वच्छ भारत अभियान की शुरूवात 2अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मोत्सव के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच साफ-सफाई का महत्व समझाना है। आज शहरों का वातावरण बहुत ही दूषित और गंदा हो गया है। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि वह  किस प्रकार अपने शहर को गंदा कर रहे है।लोग अपने आस-पास कूड़ा करकट तथा गंदगी फैला रहे है। किसी भी मोहल्ले मे देखने पर यह पाया जाता है कि चारों तरफ गंदगी का अम्बार है।जिससे कई खतरनाक बीमारियों की उत्पत्ति हो रही है। लोग जहाँ तहाँ कूड़ा करकट फेंक देते है। इन सब को देखते हुये,भारत सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। तो आईए भारत सरकार के इस मिशन को हम सब मिलकर सफल बनाए और लोगों को स्वच्छता के विषय मे समझाये।

पेड़ या वृक्ष का महत्व

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                           पेड़ या वृक्ष का महत्व पेड़ हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। पेड़ से हमें वर्षा, लकड़ी, कोयला, गोन्द, कागज आदि मिलते है। पेड़ मानव जीवन के लिए काफी उपयोगी है।इनका सबसे महत्वपूर्ण कार्य वातावरण को शुद्ध रखना, वर्षा व हमें आक्सीजन प्रदान करना है, या यूं कहे कि पेड़ हमारे लिए जीवनदायनी है। आज अगर पेड़ नहीं होंगे तो हम सभी लोग भी नहीं रहेंगे। पेड़ों को हम लोग को बचाना चाहिए। पेड़ रहगे तभी हम लोग भी सुरक्षित हैं। पेड़ भूमि क्षरण से भी हमें बचाते है। यह बाढ आदि से भी हमारी रक्षा करते है। पेड़ के बिना इस धरती पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है।इसलिए हम सभी को मिल कर पेड़ो की रक्षा करनी चाहिए।           पेड़ हमारे भाई है, जो इन्हें काटे वह कसाई है।

Dr. APJ Abdul Kalam /एक श्रध्दांजलि मिशाइल मैन डॉ. अब्दुल कलाम को

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एक श्रध्दांजलि मिशाइल मैन डॉ. अब्दुल कलाम को डॉ. कलाम के जीवन के संबंध में दार्शनिक विचार एपीजे अब्दुल कलाम संभवतः भारत के सबसे ज्यादा लोकप्रिय राष्ट्रपति थे। उनके जाने से भारत को बहुत बड़ी क्षति हुई है। कहा नहीं जा सकता कि इसकी भरपाई कब और कैसे होगी। वे सही अर्थो में सच्चे देश भक्त थे, जिन्होंने अपना सारा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। वे बच्चों के लिए शिक्षक, दार्शनिक, कर्मयोगी तथा स्वपन्नदृष्टा थे। उनकी लोकप्रियता एक बड़ी वजह उनका सरल, उत्साही और विनम्र स्वभाव था। राष्ट्रपति बनने के बाद भी वह एक आम नागरिक की तरह रहते थे । उनकी लोकप्रियता की दूसरी वजह यह थी कि वह युवाओं के लिए एक प्रेरणा श्रोत थे, वे कहते थे कि सपने वे नहीं होते जो रात के सोने के समय देखे जाए, बल्कि सपने वे होते है जो आप को सोने नहीं दें। .... वे यह भी कहते थे कि आप जो भी बनना चाहते हों, वही बनें-इंजीनियर, वैज्ञानिक, डॉक्टर, शिक्षक, प्रशासनिक अधिकारी या फिर नेता । आप जब सफल होंगे, तभी देश आगे बढ़ेगा, पर जीवन में कुछ करने के लिए ज्ञान जरुरी है। ज्ञान तीन चीजों का जोड़ है- साहस, रचनात्मकता और सच्चाई। कोई भी...

Mobile w iternet sey youo ki bikharti duniya/ मोबाइल व इंटरनेट से युवाओं की बिखरती दुनिया

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मोबाइल व इंटरनेट से युवाओं की बिखरती दुनिया मोबाइल की फंतासी दुनिया का सम्मोहन युवायों तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है । आज के युवाओं का आपस में संवाद इंटरनेट के सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए हो रहा है। उनकी समाजिक दुनिया इंटरनेट व मोबाईल तक ही सिमट कर रह गयी है। आज 30 फीसदी युवा मोबाइल व कम्प्यूटर के जरिये अश्लील साहित्य और महिला मित्रों की तसवीरें आपस में अदला-बदली या भेजते है ।       हमारे देश में भी इंटरनेट ने समाजिक संबंधों के प्रत्यक्ष संवाद को घुन की तरह चाटना शुरु कर दिया है। मुंबई में ऐसे कई इंटरनेट एडिक्टेड क्लिनिक की शुरुवात भी हो चुकी है। जहाँ दर्जनों अभिभावक अपने इंटरनेट व्यसनी बच्चों एवं युवाओं के इलाज के लिए पहुँचते हैं। इंटरनेट प्रयोग के मामले में भारत आज एशिया में दूसरा तथा विश्व में तीसरा देश है। साथ ही इंटरनेट प्रयोग करने वाली 85 फीसदी आबादी यहाँ 14 से 40 आयु के बीच है, जिसमें युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। युवाओं का यह वर्ग जो नेट सर्च, ई-मेल, फेसबुक, ट्वीटर एवं व्हाट्सएप पर जुटे रहने के कारण समाज के वास्तविक संबंधों से धीरे-धी...