Hindi dewas : hindi divas vishesh हिंदी दिवस विशेषः संघ की राजभाषा नीति
संघ की राजभाषा नीति सारांश
भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिंदी होगी और उसकी लिपि देवनागरी होगी। सरकारी कामकाज में प्रयोग के लिए भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप में प्रयोग किया जाएगा। यह 0 123456789 है। राजभाषा अधिनियम संशोधित किया गया है जिसकी जानकारी सभी को है और समय-समय पर दी जाती है। राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 33 के अनुसार केंद्र सरकार के कार्यालयों में निम्नलिखित सभी दस्तावेज द्विभाषी रूप में अर्थात हिंदी और अंग्रेजी में दोनों भाषाओं में जारी किए जाएंगे। सामान्य आदेश, संकल्प, नियम, अधिसूचना, प्रशासनिक एवं अन्य प्रतिवेदन प्रेस विज्ञप्ति, करार, सूचनाएं, निविदा प्रपत्र एवं सूचना संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखे जाने वाले कागजात।
सामान्य आदेश की परिभाषाएं
स्थाई किस्म के सभी आदेश निर्णय, अनुदेश परिपत्र आदि जो विभागीय प्रयोग के लिए हैं तथा ऐसे सभी आदेश अनुदेश पत्र ज्ञापन सूचनाएं परिपत्र जो सरकारी कर्मचारियों के संबंध में या उनके लिए हैं राजभाषा अधिनियम की धारा 3(3) के अधीन सामान्य आदेश कहलाते हैं।
राज्य भाषा क्षेत्र
केंद्र सरकार के कार्यालयों को तीन भागों में बांटा गया है
(क) उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, अंडमान निकोबार दीप समूह।
(ख ) गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, चंडीगढ़।
(ग) उपरोक्त को छोड़कर अन्य सभी राज्य और संघ राज्य से तात्पर्य है केंद्र शासित प्रदेश।
क तथा ख क्षेत्रों की राज्य सरकारों तथा जनता के साथ पत्र व्यवहार हिंदी में करना आवश्यक है। कार्यालय के लिए खरीदे जाने वाले सभी फाइल और रजिस्टर द्विभाषी खरीदे जाएं। इन सभी को ध्यान में रखते हुए क क्षेत्र में स्थित कार्यालयों के पत्राचार हिंदी में होंगे। क्षेत्र में स्थित कार्यालयों के पत्राचार भी हिंदी में होंगे। यदि आवश्यकता होती है तो उसका अनुवाद भी भेजा जाएगा। गैर क्षेत्र में स्थित कार्यालयों को पत्र भेजते समय उसका अनुवाद भेजने की आवश्यकता नहीं है। इन सब को सुनिश्चित किया जाना कार्यालय अध्यक्ष की जिम्मेदारी होती है। कार्यालय से संबंधित सभी मैनुअल संहिताए, संस्थाएं और अन्य प्रक्रियाएं हिंदी मे कार्य को कार्यान्वयन को सुनिश्चित करें। यहां एक बात और स्पष्ट की जाती है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी फाइलों में हिंदी में पत्र टिप्पणी और नोट लिख सकता है और उससे अपेक्षा नहीं की जाएगी कि वह उसका अनुवाद प्रस्तुत करें। राजभाषा हिंदी का कार्य साधक ज्ञान सभी कार्मिकों के लिए अनिवार्य है। अतः सभी से अपेक्षा की जाती है कि सभी अपना दायित्व समझते हुए राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार में योगदान दें ताकि राजभाषा हिंदी संपूर्ण भारत की भाषा बन सके।
राज्य भाषा के नियम
1. हिंदी में प्राप्त पत्रों के उत्तर हिंदी में दिए जाएंगे।
2. राजभाषा अधिनियम की धारा 3(3) में निर्दिष्ट सभी दस्तावेज हिंदी और अंग्रेजी दोनों में तैयार किए जाएंगे।
3. यदि कोई दस्तावेज या अभ्यावेदन आवेदन अपील हिंदी में किया गया हो तो या उस पर हस्ताक्षर हिंदी में किया गया हो तो उसका उत्तर हिंदी में ही दिया जाएगा।
4. अधिसूचित कार्यालयों के हिंदी में प्रवीणता प्राप्त कर्मचारियों द्वारा प्रारूपण टिप्पणी और ऐसे अन्य शासकीय प्रयोजनों के लिए जो आदेश में विनिर्दिष्ट किए जाएं वहां केवल हिंदी का प्रयोग किया जाए।
5. केंद्र सरकार के जिन कार्यालयों में कम से कम से कम 80% कर्मचारियों को हिंदी का कार्य साधक ज्ञान प्राप्त है, उन कार्यालयों को राज्य पत्र में अधिसूचित कराया जाए।
6 केंद्र सरकार के कार्यालयों में सभी मैनुअल संहिताए प्रक्रिया संबंधी अन्य साहित्य हिंदी और अंग्रेजी में दोनों में प्रकाशित किया जाएगा। कार्यालयों में प्रयोग किए जाने वाले रजिस्टरों के शीर्षक हिंदी और अंग्रेजी दोनों में होंगे। हिंदी ऊपर होगी और सामान अक्षर होंगे।
7. केंद्र सरकार के प्रत्येक कार्यालय के प्रशासनिक प्रधान का उत्तरदायित्व होगा कि वह राज अधिनियम तथा इनके तहत जारी आदेशों निर्देशों का समुचित रूप से अनुपालन सुनिश्चित करें।
8. राजभाषा अधिनियम के अनुसार हिंदी का ज्ञान होना सभी कर्मचारियों के लिए आवश्यक है।
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