एचआईवी / एड्स: मानव जीवन के लिए अभिशाप

 एचआईवी / एड्स: मानव जीवन के लिए अभिशाप 


आज संपूर्ण विश्व अनेक समस्याओं से जूझ रहा है पर्यावरण क्षरण, आतंकवाद, जैविक हथियारों की बढ़ती होड़ तथा मनुष्य स्वास्थ्य के लिए उत्पन्न अनेक खतरनाक बीमारियाँ। इन बीमारियों में सबसे खतरनाक एवं विकराल रूप रूप लेता जा रहा है एड्स। आज जिस तरह पूरे विश्व में तेजी से पांव फैलाता जा रहा है, वह मानव सभ्यता के लिए खतरनाक बनता जा रहा है। आज तक एड्स का समुचित इलाज मानव जाति ढूंढ नहीं पाया है। एचआईवी एड्स का, अगर कोई इलाज है या इसे फैलने से रोकना है तो इस बीमारी का सबसे अच्छा तरीका, इसके फैलने और बचाव का उचित ज्ञान।ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि अज्ञानता तथा उचित ज्ञान के अभाव में लोग इस महामारी को अपनाते जा रहे हैं।

 वास्तव में एचआईवी एड्स क्या है?

 एचआईवी अर्थात ह्यूमन इफिशिएंसी वायरस एड्स का प्रमुख कारण है। एड्स अर्थात एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम का संक्षिप्त नाम रखा गया है। पूरे विश्व में एक दिसंबर को एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। एड्स की सर्वप्रथम अमेरिका में 1981 के आसपास खोज हुई थी । आज एड्स एक महामारी का रूप लेता जा रहा है। थोड़े से ही समय में यह रोग पूरे विश्व में समस्या बनता जा रहा है ।

एचआईवी की दो किस्में हैं एचआईवी-1 तथा एचआईवी-2। मनुष्य में पाए जाने वाले एचआईवी-2 बंदरों के वायरस से मिलता जुलता है। ऐसा लगता है कि बंदरों से ही एड्स मानव में आया किंतु इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। कुछ वैज्ञानिक एड्स को न्यूक्लियर धमाकों का परिणाम मानते हैं। कुछ भी हो यह रोग मानव जाति के लिए चुनौती के रूप में मिला है, जो चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा है कि 21वीं सदी में जाने वाले या चाँद सितारों पर जाने के लिए सपना देखने वाले, हे मानव मेरा इलाज ढूंढ सकते हो तो ढूंढ लो। एचआईवी एक प्रकार का विषाणु है, जो संक्रमित व्यक्ति की रोगों से लड़ने की शक्ति को नष्ट कर देता है। किंतु जब यह भयानक रूप लेता है तो सिंड्रोम के रूप में विकसित हो जाता है। जिसे हम एड्स कहते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि एड्स एक खतरनाक और भयानक रोग है, जिसका कोई इलाज नहीं है। एचआईवी इसका प्रारंभिक स्तर है।


एचआईवी संक्रमण फैलने के कारण


संक्रमित व्यक्ति का रक्त चढ़ाने से

यदि कोई व्यक्ति एड्स से पीड़ित है तो उसका रक्त किसी अन्य व्यक्ति को चढ़ाया जाता है तो वह व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है। अतः एड्स से ग्रसित व्यक्ति का रक्त कभी भी नहीं लेना चाहिए या रक्त लेना भी पड़े तो उसे अच्छी तरह जांच कर लेना चाहिए।

संक्रमित सुईयों द्वारा

रक्त चढ़ाने या इंजेक्शन लगवाने के समय सुई आदि का प्रयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए। किसी अन्य व्यक्ति में इस्तेमाल की गई सुई को दूसरे व्यक्ति में इंजेक्शन या रक्त चढ़ाने में प्रयोग नहीं करना चाहिए।

संक्रमित मां से बच्चे में

यदि कोई महिला एड्स से संक्रमित है तो और वह गर्भवती है तो उसके बच्चे को भी एड्स होने का खतरा बढ़ जाता है। 

शेविंग ब्लेड से

नाई के उस्तरे या ब्लेड से भी एड्स होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर उस्तरे या ब्लेड से कोई नाई, संक्रमित व्यक्ति का बाल या दाढ़ी बनाता है और उस पर खरोंच से खून लग जाता है फिर वह नाई उसी ब्लेड से या उसी तरह से किसी सामान्य व्यक्ति को दाढ़ी बनाते समय गलती से खरोच या कट जाए तो वह व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है। इसलिए नाई को चाहिए कि प्रत्येक ग्राहक के लिए नया ब्लेड प्रयोग करें।

संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध रखने से

यदि कोई व्यक्ति एड्स से संक्रमित है तो वह किसी अन्य के साथ यौन संबंध रखता है तो वह व्यक्ति भी एड्स संक्रमित हो सकता है ।

दाँत के उपकरणों से

दाँत के उपकरणों से भी यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। दाँत के डॉक्टरों को चाहिए कि अच्छी तरह उपकरणों को कीटाणु रहित अथवा विसंक्रमित करने के बाद ही उसका प्रयोग करना चाहिए ।


एचआईवी या एड्स इन्फेक्शन निम्न तरीकों से नहीं फैलता है।


1. रोगी से बातचीत करने से।

2. रोगी का शौचालय प्रयोग करने से।

3. रोगी से हाथ मिलाने से।

4. मच्छरों या खटमल के काटने से।

5. साथ खेलने से।

6. आलिंगन या गले मिलने से।

7. खांसने या छीकने से।

8. जलाशयों में साथ स्नान करने से।

9. साथ खाना खाने से।


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