आत्मनिर्भर भारत स्वतंत्र भारत
आत्मनिर्भर भारत स्वतंत्र भारत
हर मनुष्य जीवन में आत्मनिर्भर रहना चाहता है और अपनी सारी ज़रूरतें स्वयं ही पूरी करना चाहता है। शुरू से ही या यूं कहें प्राचीन काल से ही मनुष्य आत्मनिर्भर बनना चाहता है इसी बनने की प्रक्रिया में मनुष्य ने विभिन्न आविष्कार किए। जिसमें पहिए का आविष्कार, आग का आविष्कार इत्यादि कई प्रकार के आविष्कार अपने आत्मनिर्भर बनने के लिए मनुष्य ने किया।
हाल फिलहाल हमारे प्रधानमंत्री जी ने आत्मनिर्भर भारत स्वतंत्र भारत का मंत्र दिया है। सच कहा जाए तो कोई भी देश तभी पूर्ण रूप से स्वतंत्र माना जाएगा, जब वह संपूर्ण संसाधनों से आत्मनिर्भर हो। अगर देखा जाए तो जो देश पूर्ण रूप से स्वतंत्र तब तक नहीं है जब तक वह आत्मनिर्भर नहीं है। चाहे वह खाद्यान्न के मामले में हो, चाहे सैन्य मामले में हो, चाहे हथियार बनाने के मामले में हो, टेक्नोलॉजी के मामले में हो, विज्ञान के मामले में हो, दवाओं के मामले में हो, वह तब तक आत्मनिर्भर नहीं है या स्वतंत्र नहीं माना जाएगा जब तक कि उसकी निर्भरता दूसरे देश पर बनी रहेगी। अतः किसी भी देश के लिए आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है, तभी वह संपूर्ण रूप से स्वतंत्र रह सकता है। अगर भारत देश को आत्मनिर्भर भारत बनाना है और स्वतंत्र भारत बनना है तो उसे आत्मनिर्भर बनना होगा। भारत देश विभिन्न धर्म भाषाओं का देश है और वास्तव में यह विविधता में एकता का एक शानदार नमूना पूरे विश्व में पेश करता है । भारत देश का शक्ति विविधता में एकता है, अगर भारत को आत्मनिर्भर बनना है तो उसे इस विविधता में एकता रूपी समाज को एक हथियार की तरह या एक अस्त्र की तरह उपयोग करते हुए, अपने आत्मनिर्भरता के लिए आगे बढ़ना होगा । सही मायने में देखा जाए तो भारत विविधता में एकता को अगर उपयोग करता है तो पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हो सकता है। क्योंकि जितनी विविधता इस देश में है, शायद ही किसी देश में होगा और भारत इसे एक शक्ति के रूप में इस्तेमाल करते हुए सही अर्थों में स्वतंत्रता को प्राप्त कर सकता है । महात्मा गांधी ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था, जहां विभिन्न प्रकार के जाति, धर्म, भाषा के लोग निवास स्वतंत्र रूप से करते हो और उनमें आपसी प्यार और सौहार्द हो। उन्होंने कहा था कि अगर भारत को वास्तव में स्वतंत्र होना है तो सभी धर्मों के लोगों के इस देश को आगे बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा था कि हमारी ताकत विविधता में एकता ही है, अगर जिस दिन भारत इस विविधता में एकता को पहचान लेगा उसी दिन वास्तव में भारत आत्मनिर्भर के साथ -साथ स्वतंत्र भारत बन सकता है। पूरे विश्व में भारत की पहचान विविधता में एकता वाली देश के रूप में होती है, क्योंकि यहां विभिन्न जाति धर्म के लोग निवास करते हैं ।आज देखा जाए तो हमारे देश में विभिन्न जाति धर्म के महान पुरुष वैज्ञानिक खिलाड़ी इत्यादि पैदा हुए और उन्होंने देश का नाम रोशन किया और आत्मनिर्भर भारत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। महान वैज्ञानिक अब्दुल कलाम ने जहां आत्मनिर्भर भारत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जब भारत मिसाइल बनाने के क्षेत्र में पश्चिमी देशों के तरफ देख रहा था तब किसी भी देश ने भारत का सहयोग नहीं किया। तब महान वैज्ञानिक और इस देश के महान सपूत अब्दुल कलाम ने इस देश को अपने ज्ञान से भारत के लिए अग्नि मिसाइल तैयार किया और भारत को विश्व के अग्रणी देशों में लाकर खड़ा कर दिया। इन्होंने ना केवल भारत को सैन्य साजो सामान और मिसाइल के क्षेत्र में अपितु अंतरिक्ष संबंधी मामलों में भी भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। विभिन्न जाति धर्म के खिलाड़ियों ने इस देश के लिए विभिन्न प्रकार के मेडल जीता। शुरू से ही भारत की शक्ति विविधता में एकता ही रही है और इसको सही रूप से चरितार्थ देश के निवासियों ने समय -समय पर किया है। अतः भारत को अगर सही रूप में आत्मनिर्भर भारत और स्वतंत्र भारत बनना है तो उसे विविधता में एकता को आगे ले करके चलना होगा और इस देश को मजबूत बनाना होगा तभी भारत सही रूपों में स्वतंत्र भारत बन सकता है । हमारे देश के प्रधानमंत्री ने सही रूप में नारा दिया है कि अपने भारत को स्वतंत्र भारत देखा जाए तो यह नारा बहुत पहले ही दिया जाना चाहिए। जिससे हमारी निर्भरता दूसरे देशों पर ना हो करके स्वयं पर होनी चाहिए।
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