मेरा गाँव स्वच्छ गाँव
मेरा गाँव स्वच्छ गाँव
मेरे पापा शहर में सरकारी नौकरी करते है। स्कूल के गर्मियों की छुट्टियों में हर वर्ष अपने मम्मी- पापा के साथ, अपने गाँव जाने का अवसर मिलता है, लेकिन मुझे गाँव जाना एकदम पसंद नहीं था। क्योंकि जो सुविधा यहां शहर में थी, वह गाँव में नहीं मिलती थी। पापा कहते हैं कि बेटा अगर भारत को समझना है तो अपने गाँव अवश्य जाओ। मैं गाँव इसलिए नहीं जाना चाहता था, क्योंकि हर बार गाँव जाता था तो कच्ची सड़कें, नालियो में बजबजाता गंदे पानी, कूड़े का अंबार, खेतों में शौच करते स्त्री-पुरुष, तालाब में भैंसों को धोते लोग एवं उसी तालाब में नहाते हुए गाँव के लोग, लोगों के गंदे कपड़े जो कई कई दिनों तक लोग धोते नहीं थे, बिजली का अभाव, चिकित्सा का अभाव, रोज़गार का अभाव एवं दारु के साथ मनोरंजन करते लोग, बच्चों को विद्यालय नहीं भेजना आदि देख मन द्रवित हो जाता था ।
लेकिन इस बार जब मैं अपने गाँव गया तो देखा कि गाँव तो पूरा बदल ही गया था। प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान का ऐसा असर गाँव में दिखा कि इस बार गाँव छोड़कर शहर आने का मन ही नहीं कर रहा था। गाँव में खड़ंजा बीछ गए थे, पानी के निकास के लिए पक्की नालियां बन गई थी, कूड़े के लिए जगह-जगह कूड़े दान बना दिए गए थे, सभी के घरों के बाहर सरकारी अनुदान से शौचालाय बना दिया गया था ,अब गाँव के लोग शौच के लिए खेतों में नहीं जा रहे थे, तालाब का भी सरकारी अनुदान से सौंदर्यीकरण कर दिया गया था, गाँव के लोग स्वयं सहायता समूह के माध्यम से रोज़गार भी कर रहे थे, गाँव का विद्यालय भी काफी सुंदर हो गया था, बच्चों के खेलने के लिए विद्यालय में पार्क भी बना दिए गए थे। गरीब बच्चों को विद्यालय में ही खाना मिल रहा था। ग्राम पंचायत भवन में गाँव के लोगों की सुविधा के लिए इंटरनेट की व्यवस्था किया गया था। सप्ताह के 1 दिन लोगों का चिकित्सा परीक्षण भी हो रहा था, जिसमें शहर से आए हुए डॉक्टर ग्रामीण लोगों को स्वच्छ और बीमार मुक्त रहने के उपाय बता रहे थे।
इस बार अपने गाँव को गंदगी मुक्त देख मन बाग-बाग हो गया था । गाँव से लौटने का मन ही नहीं कर रहा था।वास्तव में हमारा गाँव गंदगी मुक्त गाँव हो गया था । भारत का हर एक गाँव गंदगी मुक्त गाँव होना चाहिए। हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ठीक ही कहा था कि भारत गाँवों का देश है, अगर भारत का विकास करना है तो गाँव का विकास करना होगा ।
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